चिर समय से जो अंधेरा
इस जगत से जा न पाया
कोटि सूर्यों के किरण को
जिस तमस ने है हराया,
बुद्धि बल से युक्त मानव
के गमन को रोकता जो
स्वप्न पंछी की उड़ानें
भुवन में अवरोधता जो,
आदि युग से प्राणियों को
जिस विषय का ज्ञान न था
हर सपने को सच करने की
सक्षमता का भान न था,
हर पराजय की वजह के
ग्रंथ का सर्वज्ञ हूँ मैं
असंभव का विशेषज्ञ हूँ मैं,
असंभव का विशेषज्ञ हूँ मैं,
भाग्य रेखा भाग्य को
अबतक दिशाएं दे रही थी
भाग्य रेखा को दिशाएं
दे सके वह शक्ति मैं हूँ,
स्वप्न जो देखा कभी पर
प्राप्ति का साहस नहीं था
कल्पना वो सत्य करने
का अटल संकल्प मैं हूँ,
राह जो अबतक नहीं था
स्वप्न सच को जोड़ता जो
मार्ग वह निर्माण करने
का अनत उत्साह मैं हूँ,
प्राणीमात्र की सीमाओं का
विस्तार कारी यज्ञ हूँ मैं
असंभव का विशेषज्ञ हूँ मैं,
असंभव का विशेषज्ञ हूँ मैं,
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