Tuesday, January 24, 2012

तुम और हम.......एक नयी सीख.

तुम  देर तक रोती रही हो ......और अगर मैं कोई हंसाने वाली हरकत कर दूं तो तुरंत ही हँस देती हो.

और हम, अगर किसी पर ग़ुस्सा आ जाये, तो ग़ुस्सा उतर जाने के काफी देर बाद तक ग़ुस्सा होने की एक्टिंग करते रहते हैं.

बचपन कितना सरल होता है.

Random Thoughts

सब झगड़ों का मूल है, अपने मन की सोच.
सोच बदलकर देख लो, मिट जायेगा रोष.

ग़लती हो ग़र मुझसे तो, हर दंड स्वीकार है,
पर आपका चुप रह जाना, ये तो अत्याचार है.

अपेक्षा और उपेक्षा ....
झगड़ों के प्रमुख कारण हैं.
दूसरों से आदर्श होने की अपेक्षा,
और दूसरों के मनोभावनाओं की उपेक्षा.


लोभ, निराशा, क्लेश, द्वेश,
आलस्य तुझी पर निर्भर है.
क्यों औरों पर क्रोध करे है,
दुश्मन अपने भीतर है.