Friday, December 16, 2011

Some couplets for my little one

तुम आयी हो जीवन में, बन मेरा अभिमान,
छोटा  सा  आकार  है,  प्यारी  सी  मुस्कान


हँसना, रोना, जगना, सोना, मुस्काकर आ जाना पास
मूल्यहीन   है   सारी   पूंजी,  जो  पाया  है  ये  एहसास

तेरे छोटे-छोटे हाथ पकड़कर
सुकून पाता हूँ मैं,
तुझे तो सिर्फ चलने का सहारा मिलता होगा
पर ..... तेरे साथ फिर से,
बचपन जीता हूँ मैं

तुम्हारी तोतली भाषा के ये शब्द,
निरर्थक नहीं हैं मेरे लिए
तुम तो जानती हो कि.........
मैं समझता हूँ इन्हें.
 
 
नन्हे-नन्हे दाँत तुम्हारे, नीचे दो हैं ऊपर चार,
हंसी तुम्हारी देख-देख कर, मैंने पाया है संसार


छोटे-छोटे हाथ तुम्हारे,  मुझे  दिखाते  स्वप्न  बड़े,
जीवन जीने की अभिलाषा, पहले इतना कभी न थी


तुम्हारा, बिना किसी बात के हँस देना, बार-बार, दिन भर, किसी आश्चर्य से कम नहीं. मेरे लिए. और तथाकथित समझदार लोगों के लिए. हम तो किसी हंसने वाली बात पर भी नहीं हँसते....आसानी से. हमें हंसाने के लिए तो कोई विशेष बात होनी चाहिए. serious रहने कि आदत,  चार किताबें पढ़े होने का अंतर्भिमान, या शायद चिंतित रहने कि आदत. ये सब रोक लेती हैं मुझे दैनिक व्यवहार में तुम्हारी तरह हंसने से. पर जब मैं तुम्हारे साथ हँसता हूँ........सब कुछ भूलकर........बच्चा बनकर......तो ऐसा लगता है कि .....ये संभव है......मेरे लिए भी.
 

किसी शायर कि बात याद आती है......
 
बच्चों  के  नाज़ुक  हाथों  को,  चाँद  सितारे  छूने  दो.
चार  किताबें  पढ़कर  वो  भी,  हम  जैसे  हो  जायेंगे.

2 comments:

mathewsajiv said...

great to see an update on your blog after a long time...some very meaningful lines in your poem, that most parents generally seem to forget...

Sushil said...

Hi Sajiv, great to see that I still have some reader. I had kind of abandoned this blog. But recently thought of writing this bit.