Thursday, May 22, 2008

मिलन - Meeting You

नयन से नयन जब हमारे मिले
मन मधुर राग था गुनगुनाने लगा
रूप देखा तो सूरज जवाँ हो गया
चाँद बादल में चेहरा छिपाने लगा

स्वप्न में जो लिखे थे तुम्हारे लिए
गीत वो फूल बनकर खिलेंगे कभी
प्रेम के चित्र जो कल्पना में बने
रंग तुमसे चुराकर सजेंगे कभी

सेम की बेल जो उस बगीचे में थी
आम के पेड़ से वो लिपट उठ गयी
देख उनका मिलन दॄष्टि हर्षित हुई
स्वप्न तुमसे मिलन का संजोने लगी

अप्रतिम शुभ्र सौन्दर्य की स्वामिनी
प्रेम सागर हृदय में छिपाती हो क्यों
अर्ध मुस्कान पर नेत्र नीचे किये
शर्म में डूबकर मौन रहती हो क्यों

चंचले सुन्दरी कल्पना की परी
गीत के स्वर मेरे यों सम्भल जायेंगे
ग़र बुझा दो मिलन प्यास मधुवर्षिणी
शब्द मेरे मधुर काव्य बन जाएँगे

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